सावन के सोमवार
अंजलि ने कितने व्रत किए थे तभी तो इतना अच्छा पति मिला हर साल सावन के सोमवार करती और मंदिर जाती और अपने लिए योग्य वर की कामना करती थी।
अंजलि एक पढ़ी लिखी ग्रेजुएट लड़की थी फिर भी वो इन बातो को मानती थी जितना वो पढ़ाई में अच्छी थी उतनी ही घर के कामों में भी परिपूर्ण थी।
धरती की रचना
अबकी बार भी सावन के सोमवार आने ही वाले थे और शादी के बाद ये अंजलि के पहले सोमवार थे जो अपने पति के साथ करने वाली थी।
अंजलि के पति दीपक एक बड़ी कंपनी में कार्यरत थे और कुछ ही दिन पहले वो कंपनी के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।
दीपक अंजलि को बोल कर गए थे कि जब तक सावन के सोमवार पूरे होंगे तब तक में आ जाऊंगा।
दीपक भी अंजलि को बहुत प्यार करते थे और उनके घरवाले भी अंजलि को अपनी बेटी कि तरह रखते थे।
संघर्ष की दीवार
ऐसा लगता था कि अंजलि को ये सारी खुशियां और इतना प्रेम करने वाला पति और ससुराल वाले सभी उसके व्रत के कारण ही मिले है।
और शिवजी की अंजलि पर बड़ी अनुपमा है सावन के सोमवार आ गए थे और पहला सोमवार था घर में सभी औरतें तेयार हो रही थी।
अंजलि भी अपने कमरे में तैयार हो रही थी सारी औरतें तैयार हो कर बाहर अंजलि का इंतजार कर रहे थे इतने में अंजलि भी तैयार हो कर बाहर आ गई।
सभी औरतों ने अंजलि को देखा तो देखते ही रह गई और सब उसकी तारीफ करने लगी क्युकी आज अंजलि दुल्हन की तरह लग रही थी।
अतीत की यादें
अंजलि पहले से ही सुंदर तो थी है पर आज लाल साड़ी, हरी चूड़ियां, बिंदी , गहने ,सब थे आज वो एक परी के के जैसी लग रही थी।
बाहर आते ही पहले उसने अपने सास के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया और सबके साथ मंदिर कि तरफ निकल गई।
सब औरतें और अंजलि मंदिर पहुंच गए थे और मंदिर में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे जैसे ही अंजलि कि बारी आई उसकी थाल में रखा दीपक बुझ गया।
ऐसा देख अंजलि बहुत घबरा गई और मन हि मन कुछ घटित होने का सोच कर और ज्यादा घबराने लगी उसने शिवजी कि पूजा की और मंदिर से बाहर आ गई।
एक अनजान रिश्ता
बाहर आते ही उसने सबसे पहले अपने पति दीपक को फोन लगाया पर दीपक ने फोन को उठाया नहीं 2-3 बार लगाया फिर भी दीपक ने फोन नहीं उठाया।
इससे अंजलि और भी ज्यादा घबरा गई और मन हि मन उसे कुछ अनहोनी होने का डर सताने लगा । पहले दीपक का बुझना फिर दीपक का फोन ना उठाना अंजलि को और भी डर पैदा कर रहा था।
वो तुरन्त वहा से घर आई और सारी बात अपनी सास को बताई सास ने उसका डर कम करने के लिए उसे सिर्फ सयोग बताया।
वर्षो की तपस्या का फल
पर अंजलि के मन में वो डर घर कर गया था। वो अपने कमरे में चली गई और पूरे दिन यही सोचती रही फिर कब उसे नींद आ गई पता भी नहीं चला।
शाम हो गई थी घड़ी की तरफ देखा तो 5 बज रहे थे उसने वापस फोन किया तो अबकी बार दीपक ने फोन उठाया और अंजलि से बात की अंजलि सिकायत कर रही थी कि सुबह में फोन क्यों नहीं उठाया में तो डर गई थी।
दीपक ने फोन ना उठाने का कारण मीटिंग में होना बताया फिर थोड़ी देर बात हुई और फोन रख दिया अंजलि कि चिंता अब ख़तम हो गई थी।
अब वापस उसके चेहरे पर थोड़ी खुशी की झलक दिख रही थी धीरे धीरे दिन गुजरते चले जा रहे थे और आज सावन के सोमवार का आखरी सोमवार था।
बेटी हो तो ऐसी
रोज़ की तरह आज भी अंजलि सज धज के तैयार होकर मंदिर जाने के लिए अपनी सहेलियों के साथ निकल गई थी आज दीपक भी आने वाला था तो अंजलि आज बहुत खुश दिखाई दे रही थी।
पूजा कर के वो वापस अपने घर आ गई और दीपक का इंतजार करने लगी। तभी फोन के घंटी बजती है और अंजलि कि सास फोन को उठाती है।
अचानक से अंजलि कि सास के हाथ से फोन गिर जाता है और अंजलि कि सास भी रोने लगती है इतने में अंजलि दौड़ कर आती है और अपनी सास को संभालती है।
अंजलि की सास रोते रोते अंजलि को बताती है कि दीपक घर आ रहा था तो उसके बीच रास्ते में उसकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी वो उसकी हालत गंभीर है और अस्पताल में है।
पापा की नन्ही परी
इतना सुनते ही अंजलि भी रोने लगी और खुद को और अपनी सास को सम्भाल कर अस्पताल की और निकल गई। वहा पहुंच कार देखा तो पता चला कि दीपक को बहुत चोट आई है।
अंजलि डॉक्टर के पास जाती है और दीपक का हाल पूछती है डॉक्टर का जवाब होता है कि चांस बचने के बहुत कम है फिर भी हम पूरी तरह से कोशिश कर रहे है।
इतना सुनते ही अंजलि कि आंखो में आंसू रुक नहीं पाए और जोर जोर से रोने लगती है फिर वो अपने आप को संभालती है और शिवजी को हाथ जोड़ कर दुआ करती है कि उसके पति की जान बच जाए।
3 घंटे ऑपरेशन चलता है और अंजलि अभी भी हाथ जोड़े खड़ी थी ऑपरेशन रूम से डॉक्टर बाहर आते है और अंजलि को बताते है कि आपके पति अब खतरे से बाहर से बाहर है।
स्नेहा एक किन्नर
अंजलि बहुत खुश होती है और उसकी आंखो में अबकी बार खुशियों के आंसू साफ दिख रहे थे वो वापस शिवजी को हाथ जोड़ कर उनका सुक्रिया करती है आज शायद अंजलि को सावन के सोमवार का फल मिल गया था ।
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