आज की कहानी मा की कहानी है और हमारे भारत देश में मा को भगवान की उपाधि दी हुई है क्यों कि एक मा ही अपने बच्चो का दर्द और हर ख्वाहिश पूरा कर सकती है और एक मा ही अपने बच्चो पर आईं हर मुसीबत को अपनी और ले सकती है यहां तक की वो भगवान से भी लड़ सकती है। तो दोस्तो आज की कहानी शुरू करते है।
मा के पैरो का दर्द
अविनाश रात को देर से सोया तो सुबह उठने में उसे देर हो गई घड़ी की तरफ देखा तो 9 बज रहे थे। उठते ही वो अपनी मा के पास गया और पूछा मा अब तबीयत कैसी है आपकी मा दर्द से कराहती हुई बोली कि दर्द बहुत ही रहा है पैरो पे मुझसे उठा भी नहीं जा रहा है। अविनाश की मा के पैरो में कुछ दिन से दर्द बहुत था।वो दर्द अब असहनीय दर्द का रूप ले चुका था।
समस्या जिंदगी से बड़ी नहीं
अविनाश ने बोला मा चलो आपको में अस्पताल लेकर चलता हूं। मा ने भी हा में सर हिला दिया मा के चेहरे से लग रहा था कि उनको दर्द बहुत ही हो रहा था।
में फटाफट से बॉथरूम में नहाने चला गया और नहा के बाहर आया और कपड़े पहन कर तेयार हो गया अस्पताल जाने को में बाहर गया रिक्शा लाने क्युकी मा से बिल्कुल भी चला नहीं जा रहा था उनसे तो उठा भी नहीं जा रहा था।
में रिक्शा लेकर आया और मा को पकड़ कर खड़ा किया और मेरे सहारे से भी वो बहुत मुश्किल से चल पा रही थी। बहुत मुश्किल से मैने मा को रिक्शे में बिठाया।
आत्मसमर्पण
फिर में और मेरी भाभीजी मा को अस्पताल लेकर चले गए बहुत बड़ा अस्पताल था। मा को रिक्शे से पकड़ कर उतारा और उधर अस्पताल कर्मी ने व्हील चैर लेकर आए और मा को उसपे बिठा कर अस्पताल के अंदर ले गए।
मैने रिसेप्शन से फाइल बनवाई और में भी मा के पीछे 5no. रूम के सामने खड़ा हो गया क्युकी हड्डी का डॉक्टर उसी रूम में था। हमे आने में देर हो गई थी इसलिए अस्पताल में भीड़ बहुत थी।
इसलिए हमारा नंबर आते आते 1:30 बज गया था डॉक्टर को दिखाया उन्होंने दर्द का कारण पूछा तो मा ने पहले कभी गिर गई थी वो बताया डॉक्टर ने एक्सरे का बोला।
पापा कहने वाली एक परी
हम एक्सरे रूम में चले गए वहा भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। की अचानक एक्सरे करने वाले भाई आए और बोले कि लंच का समय हो गया है तो 3 बजे करेंगे।
हम भी क्या करते हा में सर को हिला दिया। में फिर मोबाइल चलाने बैठ गया धीरे धीरे घड़ी का कांटा गुम रहा था । 3 बजने में 10 मिनिट बाकी थे तभी एक्सरे लेने वाले भाई आए और हमसे पहले जिसकी बारी थी उन चाचा को पूछा कि अपके साथ कौन है।
उन्होंने बोला मेरा बेटा है वो अभी बाहर गया है अभी आने वाला है । तो एक्सरे लेने वाले भाई ने हमको बोल दिया कि चलो आपका एक्सरे ले लेते है।
एक अनजान रिश्ता
हम एक्सरे रूम में गए और मा को वहा लिटाया और एक्सरे लिए वहा से मा को उतार कर वापस व्हील चेयर पर बिठाया और डॉक्टर की रूम कि तरफ चल दिए।
डॉक्टर को एक्सरे दिखाया तो डॉक्टर ने बोला कि आपकी मा की हड्डियों पर फ्लोराइड बहुत जम गया है इस कारण दर्द हो रहा है तो डॉक्टर ने कुछ इंजेक्शन लिख के दिए और बोला की अभी लगवा दो।
में मेडिकल पर गया और इंजेक्शन ले कर आ गया और हम वार्ड में इंजेक्शन लगवाने चले गए। मा को एक राहत इस बात की थी कि उन्हें चलना नहीं पड़ रहा था व्हील चेयर होने के कारण उन्हें दर्द नहीं हो रहा था।
मित्रता की कसौटी
हमने वार्ड में मा की लिटाया डॉक्टर आए और मा को इंजेक्शन लगाया। और वापस हम डॉक्टर। के पास आये क्युकी डॉक्टर ने सिर्फ इंजेक्शन ही लिखे थे जो लग गए थे।
इसलिए मैने सोचा कोई दर्द की गोली भी लिखवा दू अगर घर जाकर वापस ज्यादा दर्द हो तो दे सकूं। डॉक्टर ने 10 दिन की गोलियां लिख कर दे दी।
4:30 बज रहे थे घड़ी में भूख भी बहुत लग गई थी बाहर का भी कहा नहीं सकते क्युकी कॉरोना वायरस की बीमारी जो फैली हुई है।
अनोखा विवाह
दवाई लिखवा कर मैने बाहर से रिक्शे वाले को बुलाया और मा और भाभीजी को रिक्शे में बिठा कर घर भेज दिया क्युकी मेडिकल पर भीड़ बहुत थी। मैने मेडिकल से दवाई ली और तभी मेरा दोस्त वहा आया और में उसकी मोटरसाइकिल पर बैठ घर आ गया।
घर आते ही मैने चाय बनवाई और चाय पी । इतना गुमने के बाद सब थक गए थे। मेरी भाभीजी तो आते ही खाने पर टूट पड़ी और बाद ने चाय पी सबने चाय पी फिर मा को मैने एक गोली दी। और आराम करने का बोला।
मा बिस्तर पर लेट गई फिर कुछ घंटे बाद मा उठी तो मैने उनकी तबीयत पूछी तो उनकी अब थोड़ा आराम था। और दर्द कम था।
वर्षों की तपस्या का फल
तो दोस्तो ये थी हमारी आज कि कहानी मा की दोस्तो मेरा तो यही कहना है जिसके घर में मा और पिता है वो घर जन्नत से कम नहीं तो अपने मा पिता कि सेवा करें उनको कोई तकलीफ़ ना हो ये हमेशा ध्यान रखे।
क्युकी बहुत मुश्किल से उन्होंने पाल पोचकर बड़ा किया है तुमको तो अब ये जिम्मेदारी अपनी होती है उनकी। सेवा करने की क्युकी उनको जरूरत अभी होती है अपने बच्चो की तो दोस्तो ये कहानी आपको अच्छी लगी तो कॉमेंट जरुर करे और शेयर भी करे।
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